कुछ नज्में बेठौर भटकती हैं : कवि संगीता गुप्ता।

Date: 21/01/2018

नई दिल्ली(ग्लोबल ख़बर)। कवि संगीता गुप्ता की दो पुस्तको का विमोचन किया गया बेपरवाह-रूह और सॉन्ग-ऑफृ-साइलेंस। सॉन्ग-ऑफ-लाइसेंस अंग्रेजी कविताओं का संग्रह है और बेपरवाह-रूह हिन्दी कविताओं का संग्रह। उन्ही की पुस्तक बेपरवाह-रूह से ली गई है उनकी लिखित निम्नलिखित कविताएं। 

 कुछ नजमें बेठौर भटकती हैं

काग़ज़ का एक टुकड़ा भी

मयस्सर नहीं होता उन्हें

कुछ रूह तमाम सफर

तन्हा होती कोई हमसफर नहीं होता

लाख पुकारने के बावजूद

कुछ आवाजें कही नहीं पहुंचती

दस्तक दें तो कहां दे

कुछ मुहब्बतों को दरवाज़े नहीं मिलते

कुछ ख्वाबों को आंखे नहीं मिलती

कुछ प्यास नदी तक नहीं पहुंचते

कुछ अफसानों की मंजिल नहीं होती

अधूरापन नसीब होता है उनका

वही एक अफ़साना हूं मैं

जो न जीते हैं न मरते

बस होते हैं, बस होते हैं।

आयकर आयुक्त संगीता गुप्ता सिर्फ कवि ही नहीं बल्कि जानी मानी कलाकार और डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता भी है। 



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