साल 2020 में चंद्रायन-3 का प्रक्षेपण होगा, चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर।
Date: 01/01/2020
राजा विक्रम , ग्लोबल खबर
साल 2020 में चंद्रयान 3 लॉन्च किया जायेगा। इसके लिये विशेष तैयारियां की जा रही है। इससे पहले चंद्रयान 2 चंद्रमा के दक्षिण भाग में नहीं उतर पाया था। अंतरिक्ष के बारे में जानने की ललक भारतीय वैज्ञानिकों में सर्वोच्च स्थान पर है। इसकी बुनियाद महान वैज्ञानिक डॉ विक्रम साराभाई ने आजादी के साल ही रख दी थी। उन्होंने जो स्वप्न देखा था वो धीरे धीरे साकार होने लगा है। भारत चांद की धरती को छू चुका है। और सफलता के लिये वैज्ञानिक प्रयोग जारी है। चंद्रयान-2 सॉफ्ट लैंडिंग करने में भले ही असफल रहा लेकिन चंद्रमा की ऑर्बिटर से वहां की तस्वीरें भेज रहा है। इसका भी बड़ा लाभ है। मिशन गगनयान की तैयारी की जा रही है। आईये जानते हैं चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 से जुडे कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों के बारे में :
प्रश्न 1. चंद्रयान 1 क्या है?
उत्तर 1. चन्द्रयान-1 चन्द्रमा पर भेजा गया भारत का पहला मिशन था। संस्कृत और हिन्दी में ''चन्द्र'' का अर्थ है चन्द्रमा और ''यान'' कहते हैं वाहन को अर्थात चन्द्रमा पर भेजा गया अंतरिक्ष वाहन।
प्रश्न 2. चंद्रयान-1 कब और कहां से छोड़ा गया था?
उत्तर 2. चन्द्रयान-1 भारत के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन पीएसएलवी-सी II से, 22 अक्टूबर 2008 को, श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से छोड़ा गया था।
प्रश्न 3. चंद्रयान-1 ने कब तक काम किया?
उत्तर 3. इस अंतरिक्ष यान ने चन्द्रमा की 3400 से ज्यादा परिक्रमाएं कीं और यह 312 दिन अर्थात 29 अगस्त तक काम करता रहा । 22 अक्टूबर 2008 को, श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से छोड़ा गया था।
प्रश्न 4. चंद्रयान-1 पर कौन-कौन से वैज्ञानिक उपकरण रखे गये थे?
उत्तर 4. चन्द्रयान-1 पर 11 वैज्ञानिक उपकरण रखे गये थे। इनमें से पांच भारतीय थे और शेष छह ई एस ए (3), नासा (2) और बुल्गारियाई विज्ञान अकादमी (1) के थे जिनका चयन इसरो की घोषणा (ए ओ) के जरिये किया गया था। ई एस ए वाले दो उपकरण भारतीय सहयोग से विकसित किये गये थे।
प्रश्न 5. चंद्रयान-1 की उपलब्धियां क्या रही?
उत्तर 5. चन्द्रयान-1 चन्द्रमा पर पानी होने की पक्की पुष्टि की। यह खोज सबसे अलग थी। चन्द्रयान-1 ने चन्द्रमा के उत्तरी ध्रुव क्षेत्र में बर्फ के रूप में पानी जमा होने की भी खोज की। इसने चन्द्रमा की सतह पर मैग्निशियम, एल्युमिनियम और सिलिकॉन होने का भी पता लगाया। चन्द्रमा का वैश्विक मानचित्र तैयार करना इस मिशन की एक और बड़ी उपलब्धि थी।
प्रश्न 6. चंद्रमा का अध्यक्ष क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर 6. चन्द्रमा के अस्तित्व में आने और उसके क्रमिक विकास से जुड़ी जानकारी प्राप्त करके हमें समूचे सौरमंडल और हमारी पृथ्वी का इतिहास समझने में सहायता मिलेगी।
प्रश्न 7. चंद्रमा का तापमान कितना है?
उत्तर 7. चंद्रमा का तापमान अत्यधिक ज्यादा और अत्यधिक कम है। इसके जिस भाग पर सीधे सूर्य की रोशनी पड़ती है वहां 130 डिग्री सेल्सियस तक तापमान होता है और बेहद गर्मी रहती है। पर रात के वक्त यह शून्य से 180 डिग्री सेल्सियस कम हो जाता है और जबर्दस्त ठंड रहती है।
प्रश्न 8. चंद्रमा पर जीवन है?
उत्तर 8. अभी तक किसी चंद्र मिशन को चंद्रमा पर जीवन होने के प्रमाण या संकेत नही मिले हैं।
प्रश्न 9. हमें चंद्रमा का एक भाग ही क्यों दिखाई देता है?
उत्तर 9. चंद्रमा के परिक्रमा करते रहने के कारण पृथ्वी की तरफ उसका वही एक भाग दिखाई देता है। इसका कारण यह है कि पृथ्वी की गुरूत्वाकर्षण शक्ति के चंद्रमा के घूमने की गति इतनी कम हो जाती है कि उसे अपनी धूरी पर घूमने में उतना ही समय लगता है जितना उसे पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करने में लगता है जो 27 दशमलव तीन दिन के बराबर है।
प्रश्न 10. चंद्रमा पृथ्वी से कितनी दूर है?
उत्तर 10. पृथ्वी और चंद्रमा के बीच औसत दूरी 3,84,000 किलोमीटर है।
प्रश्न 11. चंद्रमा पृथ्वी से कितना भिन्न है?
उत्तर 11. चंद्रमा का व्यास करीब 3,476 किलोमीटर है जो पृथ्वी के व्यास का एक चौथाई है। चंद्रमा का भार पृथ्वी के भार से 81 गुणा कम है। चंद्रमा की सतह पर गुरूत्वाकर्षण शक्ति पृथ्वी की गुरूत्वाकर्षण शक्ति के सिर्फ छठे भाग जितनी है। चंद्रमा पर पृथ्वी जैसा वायुमंडल नही है और इसीलिए वहां तरल पानी नही है।
प्रश्न 12. चंद्रयान 2 क्या है?
उत्तर 12. चंद्रयान-2 असल में चंद्रयान-1 मिशन की ही अगली कड़ी है। चंद्रयान-2 में ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं।
प्रश्न 13. चंद्रयान-2 और चंद्रयान-1 में क्या अंतर है?
उत्तर 13. चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह पर अपना ''विक्रम'' मॉड्यूल उतारने की कोशिश करेगा और छह पहियों वाले रोवर ''प्रज्ञान'' को चांद पर फिट कर देगा और इसके जरिए कई वैज्ञानिक परीक्षण किए जाएंगे। जबकि चंद्रयान-1 यह कार्य नही कर पाया था। चंद्रयान-1 का लिफ्ट ऑफ भार 1380 किलोग्राम था जबकि चंद्रयान-2 का भार 3850 किलोग्राम है। (नोट - सॉफ्ट लैंडिग नहीं हो सका)
प्रश्न 14. चंद्रयान-2 के लक्ष्य क्या थे?
उत्तर 14. चंद्रयान-2 का उद्देश्य चंद्रमा पर उतकर उसकी सतह के अध्ययन के लिए रोवर फिट करना है ताकि चंद्रयान-1 के वैज्ञानिक कार्यों का दायरा और बढ़ाया जा सके।
प्रश्न 15. चंद्रयान-2 कितने उपकरण लेकर गया?
उत्तर 15. ऑर्बिटर में चंद्रमा की सतह का मानचित्र बनाने और वहां के वायुमंडल (बाहरी वातावरण) के अध्ययन के लिए आठ वैज्ञानिक पे-लोड रखे गये । लैंडर में चंद्रमा की सतह और उपसतह के परीक्षणों के लिए तीन वैज्ञानिक पे-लोड लगाए गये । रोवर में दो पे-लोड हैं जिनसे हमें चंद्रमा की सतह के बारे और ज्यादा जानकारी मिल सकेगी। नासा में भी एक अप्रत्यक्ष परीक्षण चंद्रयान-2 से किया जाएगा।
प्रश्न 16. ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर मिशन कितने समय चलेगा?
उत्तर 16. ऑर्बिटर का मिशन कार्यकाल एक वर्ष होगा जबकि लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) का कार्यकाल चंद्रमा के एक दिन यानि पृथ्वी के 14 दिनों का।
प्रश्न 17. चंद्रयान 2 को किस प्रक्षेपण यान से अंतरिक्ष में छोड़ा गया?
उत्तर 17. चंद्रयान-2 को प्रक्षेपण यान जीएसएलवी-एमके III एम-1 से अंतरिक्ष में छोड़ा गया। प्रश्न 18. चंद्रयान-2 कब छोड़ा गया?
उत्तर 18. चंद्रयान-2 श्रीहरिकोटा से 22 जुलाई 2019 को 02:43 बजे जीएसएलवी-एमके III एम-1 से छोड़ा गया। पहले इसे 15 जुलाई को प्रक्षेपण किया जाना था लेकिन तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से नहीं टाल दिया गया।
प्रश्न 19. प्रक्षेपण के बाद चंद्रमा की सतह पर विक्रम कब उतरा?
उत्तर 19. चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर के 7 सितम्बर 2019 को लैंडिंग की। (सॉफ्ट लैंडिंग होनी थी लेकिन असफल रहे। )
प्रश्न 20. रोवर चंद्रमा पर कितनी दूर तक चलेगा?
उत्तर 20. रोवर चंद्रमा पर उतरने की जगह से पांच सौ मीटर की दूरी तक चल सकता है।
प्रश्न 21. चंद्रयान-2 मिशन की चुनौतीपूर्ण पहलू क्या है?
उत्तर 21. इस मिशन की कुछ तकनीकी चुनौतियाँ :
- चंद्रमा की सतह पर उतरते समय बेहद कम स्वचालित गति सुनिश्चित करने के लिए थौटलेवल इंजनों वाला प्रोपल्शन सिस्टम;
- मिशन मैनेजमेंट-विभिन्न चरणों पर प्रोपलैंट मैनेजमेंट, इंजन जलाना, कक्षा(ऑर्बिट) और प्रक्षेप पथ (ट्रैवेलरी) का डिजाइन
- लैंडर विकास-दिशा सूचक (नेविगेशन), निर्देशन और नियंत्रण, दिशा बताने और बाधा से बचने के लिए नेविगेशन सेंसर और आराम से उतरने के लिए लैंडर लौग मैकेनिज्म;
- रोवर विकास- लैंडर मैकेनिज्म से रोल डाउन, चंद्रमा की सतह पर रोविंग मैकेनिज्म, पावर प्रणालियों का विकास और परीक्षण, थर्मल(तापीय) प्रणालियां, संचार और मोबिलिटी प्रणालियां
प्रश्न 22. दुनिया के अंतरिक्ष एजेंसियों ने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के कितने बार प्रयास किये हैं? इन मिशनों को कितनी बार सफलता मिली है?
उत्तर 22. अभी तक चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के कुल 38 प्रयास किये गए हैं जिनमें से 52 प्रतिशत मौकों पर सफलता मिली है।