दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया का सफर एक पत्रकार से मंत्री बनने तक का , जिनके कार्य को अमेरिकी राष्ट्रपति की पत्नी मेलानिया ट्रंप ने भी तारीफ की।
Date: 08/04/2020
- राजेश कुमार, वरिष्ठ पत्रकार
शिक्षा का महत्व हमेशा से ही रहा है। आज भी अच्छी से अच्छी शिक्षा पाने की होड़ है। इसी कड़ी में इसका व्यवसायीकरण भी हो चुका है। शिक्षा पर धन ने अपना अधिकार जमा लिया है। सरकारी स्कूलों की हालत दयनीय है। देश के अधिकांश राज्य स्तरीय सरकारी स्कूलों में शिक्षा लगभग दम तोड़ चुकी है। जिनके पास धन है उनके बेटे-बेटियां अच्छे से अच्छे निजी स्कूलों में शिक्षा हासिल कर रहे हैं। इन हालातों में गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा हासिल नहीं हो पा रही। ऐसे में आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सरकारी स्कूलों में गुणात्मक परिवर्तन लाकर इतिहास रच दिया। शिक्षा के क्षेत्र में सुपर-30 के संस्थापक व गणितज्ञ आनंद कुमार के बाद दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ( Manish Sisodia) गरीब छात्रों के लिये दूसरे मसीहा के रूप में जाने जाने लगे हैं। दोनो ही वैश्विक स्तर पर चर्चित हैं। मनीष देश के पहले ऐसे राजनीतिज्ञ व मंत्री हैं जिन्होंने सरकारी स्कूल में ऐतिहासिक बदलाव लाये। स्कूली शिक्षा में लाये क्रांतिकारी बदलाव को देखने के लिये अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पत्नी मेलानिया ट्रंप खुद दिल्ली की एक सरकारी स्कूल का दौरा की। और प्रशंसा की। आइये जानते हैं उनके बारे में :
व्यक्तिगत परिचय :
दिल्ली के पटपड़गंज से विधायक चुने गये आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया का जन्म 5 जनवरी 1972 तो हुआ । वे मूल रूप से उत्तर प्रदेश में हापु़ड़ जिले के पिलखुवा के रहने वाले हैं। मध्यमवर्गीय परिवार से हैं। पिता धर्मपाल सिसोदिया अध्यापक थे। हर कदम पर साथ देने वाली पत्नी सीमा सिसोदिया ( Seema Sisodia) हैं। इन्होंने हर संकट की घड़ी में मनीष का साथ दिया। उनके मनोबल को बढाते रहे। उनका एक पुत्र है नाम - मीर सिसोदिया ( Meer Sisodia)। उन्होंने स्कूल व काॉलेज से पढाई करने के बाद पत्रकारिता में डिप्लोमा हासिल की दिल्ली स्थित भारतीय विद्या भवन से।
बतौर पत्रकार करियर की शुरूआत :
समाज सेवा और राजनीति में आने से पहले मनीष ने अपनी करियर की शुरूआत एक पत्रकार के रूप में की। उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो और न्यूज चैनल जी-न्यूज के लिये कार्यरत रहे। वे उसी समय से अपना-पन्ना नामक एक मासिक पत्रिका भी निकालते थे। जिसके संपादक वे खुद हैं।
जी न्यूज का सफर :
बात उन दिनों की है जब दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया बतौर पत्रकार जी- न्यूज में कार्यरत थे। स्क्रिप्ट लिखना, बुलेटिन रन कराना, समय समय पर पारी की टीम को लीड करना आदि जिम्मेवारी संभाला करते थे। जिम्मेवारी को निभाने में सक्षम मनीष समय के पाबंद थे। इसलिये मनीष से कभी किसी को शिकायत नहीं रही। सभी उनके कार्य की सराहना हीं करते थे। लेकिन मनीष का मन इन सब में कहां लगने वाला था। वे उस समय से हीं समाज और देश के लिये कुछ बढिया करने की ठान रखे थे। तैयारी भी कर रहे थे। समाज सेवा से जुड़े भी थे। कम पन्नों का अखबार भी निकाला करते थे जिसमें समाचार के साथ उनके विचार हुआ करते थे।
जब मनीष ने जी-न्यूज छोड़कर सीधे समाज सेवा से जुड़ने का निर्णय लिया तो उस समय ऐसा लगा कि आखिर मनीष ने इतने बड़े ग्रुप को छोड़ सिर्फ समाज सेवा से क्यों जुड़ रहे हैं? उनकी छवि कर्मठता के साथ साथ ईमानदारी की रही है। कभी दिखावा नहीं किया। विवाह के पश्चात भी पारिवारिक व सामाजिक जीवन जीते रहे साधारण तरीके से। कई दोस्तों ने कहा कि मनीष को जी-न्यूज की नौकरी नहीं छोड़नी चाहिये थी। लेकिन मनीष का दृष्टिकोण सबसे अलग था। वे साहसी फैसले और रिस्क लेने से कभी नहीं घबराते। इसलिये हालात कठिन होने के बावजूद पत्रकारिता को छोड़ वे सीधे समाज सेवा से जुड़ गये।
मनीष शुरू से हीं विभिन्न विषयों पर पढाई कर ज्ञान अर्जित करते रहे हैं। जब वे जी न्यूज में कार्यरत थे तब समय से पहले ही पहुंचते थे और कार्य की अवधि खत्म होने के बावजूद वे तबतक कार्यरत रहते थे जबतक दूसरे शिफ्ट के लोग काम नहीं संभाल लेते थे। इसके बाद वे पढने-लिखने व रिसर्च का भी कार्य करते थे। हम सभी जानते हैं कि समाज में जातिवाद और धार्मिक कट्टरता को लेकर कितने विवाद हैं लेकिन मनीष हमेशा से हीं भेदभाव खत्म करने के पक्षधर रहे हैं और अपने स्तर पर कोशिश भी करते रहे हैं।
समाजसेवा और मनीष :
राजनीति में आने से पहले और मुख्य धारा की पत्रकारिता छोड़ने के बाद मनीष पूरी तरह समाजसेवा से जुड़ गये। उन्होंने कबीर और परिवर्तन नामक दो सामाजिक संस्थाओं का संचालन की शुरूआत की। इसी दौरान वे तत्कालीन आयकर अधिकारी अरविंद केजरीवाल के संपंर्क में आये। वे उनके गैर सरकारी संगठन पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन (सार्वजनिक हित अनुसंधान फाउन्डेशन के सह संस्थापक भी हैं। सामाजिक कार्य करने के साथ साथ वे सूचना के अधिकार के लिये संघंर्ष करने लगे। एक सक्रिय आरटीआई कार्यकरता रहे। इतना हीं नहीं समाजसेवी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदलोन के प्रमुख सदस्य भी रहे। साल 2011 में अन्ना के जनलोकपाल आंदोलन को सफल बनाने में अह्म भूमिका निभाई। इस दौरान पुलिस ने उन्हें हिरासत में भी ले लिया था।
आंदोलन, विधायक और मंत्री :
समाज सेवा और बतौर आरटीआई कार्यकर्ता मनीष चर्चित थे लेकिन राजनीति में उनका प्रवेश नहीं हुआ था। बुनियादी तौर पर मनीष ईमानदार व्यक्ति हैं। जब भ्रष्टाचार के खिलाफ समाजसेवी अन्ना-आंदोलन की शुरूआत हुई तो इसमें उन्होंने सक्रिय भूमिका अदा की। जनसमर्थन मिलते देख साल 2012 में आम आदमी पार्टी की स्थापना की गई पूर्व आईआरएस अधिकारी अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में। मनीष इसके संस्थापक सदस्य बने। वे पार्टी के पॉलिटिकल अफेयर्स समिति के भी सदस्य बने। जब साल 2013 में दिल्ली विधान सभा चुनाव का ऐलान हुआ तब आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव में हिस्सा लेने का निर्णय लिया और मनीष पटपड़गंज से उम्मीदवार बने और शानदार जीत हासिल की। लेकिन इस चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल को बहुमत नहीं मिला। सबसे बड़ी पार्टी के रूप में आम आदमी पार्टी उभर कर सामने आई। कांग्रेस के समर्थन से आप की सरकार बनी। अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने और मनीष सिसोदिया शिक्षा मंत्री। आप के संयोजक अरविंद ने पूर्ण बहुमत हासिल करने का निर्णय लिया और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। साल 2015 में हुए विधान सभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आप को भारी सफलता मिली। 70 में से 67 सीटों पर जीत हासिल की। अरविंद फिर मुख्यमंत्री बने और मनीष शिक्षा मंत्री। इस दौर में मनीष ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाये और वह कर दिखाया जो देश के सरकारी स्कूलों के इतिहास में कभी नहीं हुआ। अमेरिका और रूस समेत उनकी चर्चा पूरी दुनिया में होने लगी। साल 2020 के विधान सभा चुनाव में उन्होंने एक बार फिर जीत हासिल की और शिक्षा मंत्री बने। वे उपमुख्यमंत्री के साथ साथ उनके पास कई विभाग हैं।
साल 2020 का विधान सभा चुनाव उनके लिये आसान नहीं रहा। आम आदमी पार्टी ने शिक्षा के साथ सात बिजली, स्वास्थ्य आदि सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किया लेकिन शिक्षा ने आम आदमी पार्टी की छवि को सर्वोत्तम ऊंचाई पर ले गया। और यह कर दिखाया बतौर शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने। इसलिये बीजेपी और कांग्रेस के निशाने पर वे रहे। उन्हें हराने के लिये विपक्ष ने सभी तरह के रणनीति बनाई लेकिन आखिरकार जीत मनीष की ही हुई। उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाने के साथ साथ शिक्षा मंत्री का भी प्रभार दिया गया।
मेलानिया ट्रंप का सरकारी स्कूल का दौरा :
शिक्षा के क्षेत्र में शानदार कार्य करने के लिये पत्रकार से राजनेता बने आप लीडर और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की चर्चा सिर्फ देश में हीं नहीं बल्कि पूरे विश्व में है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के भारत दौरे के दौरान उनके साथ उनकी पत्नी मेनालिया ट्रंप और इंवाका ट्रंप भी भारत आयी थी। राष्ट्रपति ट्रंप सरकारी कामकाज में व्यस्त रहे लेकिन उनकी पत्नी मेनालिया दिल्ली के सरकारी स्कूल में बच्चों के लिये शुरू किये गये हैपिनेस करिकुलम के बारे में जानकारी लेने पहुंची और बच्चो व शिक्षक के साथ समय बितायी।
राष्ट्रपति ट्रंप की पत्नी मेलानिया ने स्कूल में मौजूद सभी लोगों को पहले नमस्ते से अभिवादन किया और कहा कि यह मेरा पहला भारत दौरा है। शब्दों का चयन नहीं कर पा रही। यहां के लोग बहुत मिलनसार और दयालू हैं। मैं और राष्ट्रपति यहां आकर खुश हैं। यहां टीचर्स की मेहनत , बच्चों का समर्पण और लगन साफ नजर आता है। यह बहुत शानदार स्कूल है। मैंने हैप्पीनेस क्लास में पाठ्यक्रम का जायजा लिया। ऐसे कार्यक्रम दुनिया के प्रेरणा बन सकते हैं। हमारे बेहतरीन स्वागत के लिए आपका शुक्रिया।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की पत्नी मेलानिया का दिल्ली स्कूल के हैप्पीनेस क्लास के पाठ्यक्रम की तारीफ करना बहुत बड़ी बात थी क्योंकि शिक्षा के क्षेत्र में अमेरिका बहुत आगे है। और वहां की राष्ट्रपति की पत्नी का दिल्ली के सरकारी स्कूल के शिक्षा की तारीफ करना गौरवान्वित करने वाली बात है। इसका सारा श्रेय आम आदमी पार्टी के नेता व उपमुख्यमंत्री मनीष (शिक्षा मंत्री) के नाम है।
बतौर शिक्षा मंत्री मनीष का ऐतिहासिक कदम :
देश के प्रथम उपराष्ट्रपति व दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिन 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। ये बात देश के आजादी के समय से जुड़ी हुई है लेकिन आजादी के इतने सालों बाद यदि बतौर शिक्षा मंत्री कोई चर्चित हैं तो वे हैं आप लीडर मनीष सिसोदिया। विश्व स्तर पर इन्हें जो सम्मान मिला है वह कोई राजनीतिक सम्मान नहीं है बल्कि बतौर लीडर व मंत्री शिक्षा के क्षेत्र उल्लेखनीय कार्य के लिये मिला है।
दरअसल देश के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर काफी खराब है। यहां तक कि राजधानी दिल्ली में भी। मान लिया गया था कि सरकारी स्कूल के खस्ता हालात को सुधारा नहीं जा सकता है। वहीं दूसरी ओर प्राइवेट स्कूलों का लगातार विस्तार हो रहा था चमचमाती और शानदार बिल्डिंगों के साथ। गरीब बच्चों के लिये प्राइवेट स्कूल की सुविधाएं एक सपनों जैसा था। वे सिर्फ यही सोचा करते थे कि काश मेरे स्कूल में भी अच्छी पढाई होती। हमारे स्कूल के भवन भी शानदार होते लेकिन यह सबकुछ गरीबों के लिये सपने जैसा था। बतौर शिक्षा मंत्री (Education Minister) मनीष सिसोदिया ने उन गरीब छात्रों (Poor Students) के सपने को पूरा किया। आज स्थिति ऐसी है कि दिल्ली के निजी स्कूलों में पढने वाले धनवान बच्चे भी सरकारी स्कूल की ओर अपना रूख कर रहे हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों पर एक नजर :
-शिक्षकों और छात्रों के मनोबल को मजबूत बनाना। शिक्षक को विशेष सम्मान देना।
- स्कूलों में पढाने के तरीके को बेहतर करना आधुनिक सुविधाओं के साथ।
- सरकारी स्कूलों के बच्चे दसवीं और बारहवीं में टॉप करने लगे। निजी स्कूल के छात्रों को पीछे छोड़ दिया।
- सरकारी स्कूल के इमारतों को साफ-सूथरा और भव्य बनाया गया। इससे सरकारी स्कूल के बच्चों में पढने के प्रति नया उत्साह जागा।
- बतौर शिक्षा मंत्री सीधे शिक्षक, छात्रों और अभिभावकों से बातचीत करना।
- स्कूलों में पढाई के साथ साथ खेल के प्रति भी ध्यान देना। सरकारी स्कूलों में अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्विमिंग पूल बनवाने का सिलसिला शुरू हुआ।
- स्कूलों में छात्रों के सेहत के लिये जिम और पढने के लिये लाइब्रेरी की सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही है।
- बच्चे खुशहाल हों। पढने के दौरान किसी प्रकार की चिंता न हो , इसको लेकर हैप्पीनेस करिकुल्लम की शुरूआत की गई।
- आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की मदद के लिये विशेष प्रावधान करना साथ हीं एजुकेशन लोन की व्यवस्था करना।
- बच्चो में मानसिक विकास हो इसके लिये मेडिटेशन कार्यक्रम शुरू किये गये।
इनके अलावा और भी कई महत्वपूर्ण कार्य है जिसे मनीष ने पूरा किया और यह प्रक्रिया जारी है। मनीष आम आदमी पार्टी में दूसरे सबसे महत्वपूर्ण नेता है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उनके नेता हैं। मनीष कार्य करने में अधिक विश्वास करते हैं।
( लेखक, राजेश कुमार ( Rajesh Kumar), वरिष्ठ पत्रकार)