भारत सीमा में पहुंचते हीं राफेल का स्वागत सुखोई ने किया।

Date: 29/07/2020

ग्लोबल खबर  globalkhaba.com

सामरिक दुनिया में अपनी पहचान स्थापित कर चुका फ्रांस का अत्याधुनिक और संहारक लड़ाकू विमान राफेल भारत पहुंच गया है। अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर लैंड होने से पहले राफेल ने अंबाला के आकाश में अपनी रफ्तार और गर्जना का प्रदर्शन कर लोगों का दिल जीत लिया। राफेल का स्वागत करने के लिये खुद वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया मौजूद थे। पहले खेप में 5 लड़ाकू विमान पहुंचे हैं। और 5 जल्द ही आयेगा। कुल 36 लड़ाकू विमान आने हैं। इस विमान को लेकर देश में काफी उत्सुकता है। जब भारत और फ्रांस (फ्रांसीसी एरोस्पेस कंपनी दसॉल्ट एविएशन) के बीच खरीद फाइनल होने के बाद पहला लड़ाकू विमान भारत को 8 अक्टूबर 2019 को सौपा गया था। इसे रिसिव करने खुद भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गये थे। राफेल के अंबाला एयरबेस पहुंचने पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सैन्य इतिहास में यह एक नये युग की शुरूआत है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राफेल विमान के पहुंचने पर प्रसन्नता व्यक्त की और स्वागत करते हुए ट्वीट किया, 'राष्ट्ररक्षासमं पुण्यं, राष्ट्ररक्षासमं व्रतम्, राष्ट्ररक्षासमं यज्ञो, दृष्टो नैव च नैव च। नभः स्पृशं दीप्तम्... स्वागतम्!' इसका मतलब है 'राष्ट्र की रक्षा से बड़ा न कोई पुण्य है, कोई न व्रत है और न ही कोई यज्ञ है। आकाश को स्पर्श करने वाले... स्वागत है। 

 लडाकू विमान राफेल की पहली खेप भारत पहुंचने पर कई रोचक तथ्य निम्नलिखित हैं - 

- अंबाला पहुंचने वाले लड़ाकू फाइटर प्लेन राफेल ( Rafale ) संहारक फाइटर प्लेन सुखोई की सुरक्षा में लाया गया। सुखोई रूस निर्मित अति घातक और फुर्तिला लड़ाकू विमान है। देश के ये दोनो फाइटर प्लेन कई प्रकार के मिसाइल हमले के अलावा परमाणु हमला करने में सक्षम है।  

- राफेल लड़ाकू जहाज एफ-16 (अमेरिकी कंपनी लॉकीड मार्टिन) और चेंगदु जे-20 फाइटर प्लेन से बहुत अधिक संहारक है। कहा जाये तो कोई तुलना नहीं हो सकती। एफ-16 और चेंगदु जे-20 का जिक्र इसलिये जरूरी है कि यही वे दो फाइटर प्लेन देश के दुश्मन के पास है, एफ-16 पाकिस्तान के पास है तो चेंगदु जे-20 चीन के पास।

- राफेल की ताकत से दुनिया परिचित है। लीबिया, सीरिया और इराक में इसके संहारक क्षमता ने दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिये थे। भारत मे जो राफेल पहुंचे हैं इसमें और भी नये फिचर्स हैं। भारत ने अपने जरूरत के हिसाब से बदलाव कराये हैं जैसे 10 घंटे की फ्लाइट डेटा रिकॉर्डिंग, रेडार वार्निंग रिसिवर्स और लो बैंड जैमर्स आदि। कई मामलों में यह अमेरिका के एफ-35 सभी अधिक आगे हैं। हालांकि अमेरिका का एफ-35 से राफेल की तुलना नहीं की जा सकती। एफ-35 की कई खुबियों को अमेरिका के अलावा और कोई नहीं जानता। 

- राफेल विमानों के अंबाला एयरबेस पहुंचने पर उनका स्वागत वाटर सैल्यूट से किया गया। खुद वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया मौजूद थे। 

- 22 साल बाद भारतीय वायु सेना में नये लड़ाकू विमान शामिल किये गये हैं। इससे पहले साल 1997 में रूस के फाइटर प्लेन सुखोई को शामिल किया गया था। 

- वायु सेना ने राफेल विमानों के बेड़े को 'गोल्डेन एरो' नाम दिया है।

 बहरहाल, - राफेल को भारतीय वायु सेना का हिस्सा बनाने में 13 साल लग गये। इसकी शुरूआत साल 2007 में हुई जब वायुसेना ने सरकार के पास एमएमआरसीए ( MMRCA) यानी मीडियम मल्टी रोल कॉम्बेट एयरक्राफ्ट खरीदने का प्रस्ताव दिया। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने 126 फाइटर प्लेन खरीदने के लिये हरी झंडी दिखाई और टेंडर निकाला। कई फाइटर प्लेन पर विचार किया गया लेकिन अंतत राफेल पर मुहर लगी और सबसे कीमत पर फ्रांस की कंपनी ने बोली लगाई। उस समय 126 में से 18 फाइटर प्लेन खरीदे जाने थे और 108 लड़ाकू जहाजों का निर्माण भारत में ही किया जाना था।  लेकिन कभी फाइनल बातचीत नहीं हो पाई। साल 2014 में यूपीए की जगह एनडीए की सरकार बनी और बीजेपी लीडर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। और राफेल खरीदने का निर्णय हुआ। देश की अंदरूनी राजनीति में इसको लेकर काफी वाद-विवाद हुए, आरोप-प्रत्यारोप लगाये गये। और अंतत: साल 2016 में 23 सितंबर को 36 लड़ाकू विमान खरीदने पर समझौता हुआ। इसकी लागत 59 हजार करोड़ रूपये हैं। 

 

 



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