जन्मदिन : 74वें साल में प्रवेश किये भारतीय राजनीति का इतिहास बदलने वाले मसीहा लालू यादव ।

Date: 11/06/2021

राजेश कुमार,  ग्लोबल खबर globalkhabar.com

आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव की पुत्री डॉक्टर मीसा भारती ने अपने पापा के जन्म दिन पर ट्वीट किया कि - पापा से ही जहां है, पापा जहां हैं वहीं जहां है! Happy Birthday Papa ji!! 11 जून 1948 को जन्में आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव 74वें वर्ष में प्रवेश कर गये। इस मौके पर उन्हें देश के तमाम हस्तियों ने जन्म दिन की बधाई दी। वे समाज के कमजोर वर्ग के लोगों के लिये मसीहा हैं। 

लालू यादव अब किसी व्यक्ति का नाम नहीं रहा बल्कि एक संस्थागत रूप ले लिया है। वे सदैव अगड़े वर्ग के निशाने पर रहे लेकिन यहां मैं सबसे पहले अगड़े वर्ग से दो हस्तियों के नामों का उल्लेख कर रहा हूं जो काफी महत्वपूर्ण है। वे हैं - पहला, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर और दूसरा, वरिष्ठ पत्रकार व दैनिक हिन्दुस्तान के पूर्व वरिष्ठ सहायक संपादक कृष्ण किशोर पांडेय । जब देश जातीय संघर्ष में उलझा हुआ था। अगड़े वर्ग के लोग मुख्यमंत्री लालू यादव का समर्थन करना तो दूर नाम तक सही सही नहीं लेते थे। ऐसे दौर में निम्नलिखित हस्तियों ने क्या कहा निम्नलिखित है। इनकी बातों पर गौर करेंगे तो समाज में फैल रहे जातिवाद पर रोक लगेगी और आपसी भाईचार बढेगा। इससे यह भी अंदाजा हो जायेगा कि लालू यादव कोई साधारण लीडर नहीं बल्कि एक ऐसे लीडर हैं जिन्होंने भारतीय राजनीति की दिशा ही बदल दी। 

पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ;

लालू यादव कोई साधारण व्यक्ति नहीं है। उन्हें गरीबों का मसीहा कहा जाता है। गरीब आदमी संघर्ष करने के लिये उनसे प्रेरणा लेते हैं। इसे इस बात से समझा जा सकता है कि पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को लेकर लोकसभा में कहा था कि “किसी के चरित्र को गिरा देना आसान है, किसी के व्यक्तित्व को तोड़ देना आसान है लेकिन हममें और आपमें सामर्थ्य नहीं है कि एक दूसरा लालू बना दें।“ चंद्रशेखर जी जानते थे कि लालू यादव जिस सामंती व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड रहे हैं वह साधारण नहीं है। क्योंकि आप पूरे सिस्टम से लड रहे होते हैं जिसमें विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका, मीडिया, अपराध और पूंजीपति शामिल हैं। यहां सामंती शब्द किसी जाति विशेष से संबंधित नहीं है। यह बात खुद लालू यादव भी मानते हैं। 

दैनिक हिन्दुस्तान के पूर्व वरिष्ठ सहायक संपादक कृष्ण किशोर पांडेय :

बतौर जनता दल नेता लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे, उस दौरान राज्य में हिंसात्मक गतिविधियां काफी बढ गई थी। मंडल आयोग के समर्थन और विरोध में जोरदार आंदोलन होने की वजह से समाज में तनाव व्याप्त था। पिछड़े-दलित-आदिवासी-मुस्लिम समाज लालू यादव के पक्ष में जोरादर तरीके से खड़े थे तो वहीं अगड़े वर्ग के लोग घोर विरोध में थे।लेकिन इसी बीच दिल्ली स्थित दैनिक हिंदुस्तान के तत्कालीन वरिष्ठ संपादक कृष्ण किशोर पांडेय राज्य में हो रहे गतिविधियों को अलग नजरीये से देख रहे थे। बिहार के थे इसलिये विशेष रूझान भी था। उनका मानना था कि हिंसा हर हाल में बुरा है। नहीं होनी चाहिये। 

लेकिन वे कहते थे कि लालू यादव के हर कदम किसी बड़े राजनीतिक और सामाजिक बदलाव की ओर संकेत कर रहा है। सारी घटनाएं संकेत दे रहे हैं कि इतिहास बदलने वाला है। जब वे लालू यादव के पक्ष में लिखते और उनके पक्ष में आये लेखों को प्रकाशित करते थे तो हलचल मच जाती थी। लोग उनपर ताने कसते। कहते पांडेजी होकर कैसे लालू के पक्ष में लिख रहे हैं। उनको लेकर कई चर्चाएं थी कि वे लालू के पक्ष में हैं इसलिये ब्राह्ण हो नहीं सकते, कोई आरोप लगा रहा था कि वे लालू जी से मिले हुए हैं, तो कोई कहता था कुछ न कुछ गड़बड़ है। जितनी मुंह उतनी बात। लेकिन वे कभी अपने विचार से डगमगाये नहीं। उनकी हर बात सच साबित हो रही है।

मैं यहां यह साफ कर दूं कि वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण किशोर पांडे जी कभी भी आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव से नहीं मिले। सिर्फ लालू यादव हीं नहीं बल्कि किसी भी राजनीतिज्ञ से नहीं मिलने नहीं गये। वे शुद्ध पत्रकार होने के साथ साथ, विद्धान और राजनैतिक व सामाजिक विशेषज्ञ हैं। ईमानदारी, उच्च विचार और सादा जीवन उनका मूल मंत्र है। इनका मानना है कि लालू जी ने जिस प्रकार के कदम उठाये हैं उससे यही लग रहा है कि बिहार हीं नहीं भारत की राजनीति में बड़ा बदलाव आयेगा। वे यह भी कहते थे कि यदि अगड़े वर्ग के लोग अपने आचरण में सुधार नहीं करेंगे तो उनके लिये आने वाले समय में राजनीति में जगह बहुत कम होगी। 

वरिष्ठ पत्रकार पांडेय जी की भविष्यवाणी सच साबित होती जा रही है। भारतीय राजनीति में बड़े बदलाव हो चुके हैं। सिर्फ राजनीति हीं नहीं सामाजिक क्षेत्र में ऐतिहासिक परिवर्तन हो गये। इसे इस बात से समझा जा सकता है। आरजेडी लीडर लालू यादव के राजनीतिक जीवन पर आधारित लिखी गई पुस्तक 'गोपालगंज से रायसीना' में भी इस बात का उल्लेख है। प्रसंग है -  जिसमें आम आदमी से लोग पूछते हैं कि लालू शासन में तुम्हें क्या मिला विकास हुआ, नौकरी मिली ...। गरीब आदमी कहता है कि कुछ मिला हो या नहीं लेकिन स्वर मिल गया है। 

यह साधारण वाक्य नहीं हैं। बल्कि इसमें बड़ी क्रांति छिपी हुई है। हजारों साल से जो लोग बोल नहीं सकते थे वे आज अपनी हक की लड़ाई लड़ रहे है। आजादी के बाद से जिसने कभी मतदान केंद्र नहीं देखा वे बिना डरे वोट करने निकल रहे हैं। यहीं कारण है कि तमाम आरोप लगाने के बावजूद आज भी लालू यादव एक मजबूत स्तंभ हैं राजनीति के। यहां पर साल 1994-95 के बिहार विधान सभा चुनाव का जिक्र करना उचित होगा तथ्यों को समझने के लिये। 

लालू यादव पर आरोप लगाये जाते रहे कि उन्होंने बाहुबल के बल पर चुनाव जीता है। वे बूथ लूटवा देते हैं। जबकि हकीकत कुछ और हीं था। मुख्यमंत्री के खिलाफ लगातार आरोप लगाने की वजह से मुख्य चुनाव आयुक्त टी एन शेषण ने बिहार विधान सभा चुनाव1994-95 के लिये विशेष तैयारियां की। ऐतिहासिक तैयारियां जैसे पहले कभी नहीं हुआ। सुरक्षा बलों का मजबूत इंतजाम। साढे तीन महीने में चार चरणों के चुनाव कराये गये। बूथ लूट की घटना को रोक दिया गया था। विपक्ष इस बात से खुश था कि लालू की सरकार गई। लेकिन जब परिणाम आया तो ऐतिहासिक था। जनता दल अपने दम बहुमत हासिल कर लिया। विधान सभा की 324 सीटों में से 164 सीटों पर जीत हासिल की। सहयोगी पार्टी जेएमएम, सीपीआई, सीपीएम, एमसीसी को जो सीटें मिलीं वह अलग। 

दरअसल,  ईमानदारी और सुरक्षा बलों के घेरे में चुनाव होने पर ऐसे लाखों लोगों ने वोट किया, जिन्होंने कभी मतदान केंद्र तक नहीं देखे थे।  उन्हें कभी वोट डालने हीं नहीं दिया गया था। ऐसे लोग लालू यादव के पक्ष में जमकर वोट किये। इसके बाद लालू यादव के खिलाफ सारी शक्तियां एकजुट होकर उन्हें हराने की कोशिश की। यहां तक कि उनके पार्टी के लोग हीं उनके खिलाफ हो गये थे। इसलिये राष्ट्रीय जनता दल का गठन किया गया। बहरहाल, स्वास्थ्य खराब होने की वजह से आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव के बाद उनके दोनों पुत्र तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव ने आरजेडी की कमान संभाल ली। बीते विधान सभा चुनाव में तमाम विरोध के बावजूद बड़ी पार्टी बना आरजेडी। बतौर जननायक उभरे तेजस्वी यादव।  

  नोट - वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार, संपादक, ग्लोबल खबर globalkhabar.com , स्टार-एबीबी न्यूज, जी न्यूज , नवभारत  टाइम्स और हिन्दी कंरट न्यूज में लंबे समय तक पत्रकारिता का अनुभव। 

 



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