एलजी की तरफ से दिया जाने वाला ऐसा कोई भी आदेश संविधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है- उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया।

Date: 25/02/2023

राजेश चंद्रवंशी, ग्लोबल खबर globalkhabar.com

केजरीवाल सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि एलजी से सीधे आदेश लेना बंद करें।‌ सभी मंत्रियों ने अपने-अपने विभाग के सचिव को यह निर्देश दिए हैं। इसमें कहा गया है कि ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स या कार्य संचालन नियम (टीबीआर) का सख्ती से पालन करें। साथ ही एलजी से मिलने वाले किसी भी सीधे आदेश के बारे में संबंधित मंत्री को रिपोर्ट करें। संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन कर उपराज्यपाल चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर सचिवों को सीधा आदेश जारी कर रहे हैं । एलजी के ऐसे असंवैधानिक सीधे आदेशों को लागू करना टीबीआर के नियम 57 का उल्लंघन माना जाएगा। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि एलजी की तरफ से दिया जाने वाला ऐसा कोई भी आदेश, संविधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का सरासर उल्लंघन है। ‌संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लागू कराने के‌ लिए सरकार की ओर से गंभीरता से काम किया जाएगा।

 

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करने के निर्देश देते हुए अधिकारियों से स्पष्ट कहा है कि एलजी से सीधे आदेश न लें। इस क्रम में सभी सरकार के सभी मंत्रियों ने अपने विभागीय सचिवों को पत्र लिखकर संविधान, कार्य संचालन नियम (TBR) और सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले का सख्त अनुपालन करने के लिखित दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं। सचिवों को निर्देश दिए गए हैं कि यदि उन्हें एलजी से सीधे आदेश प्राप्त होते हैं तो वे प्रभारी मंत्री को तुरंत रिपोर्ट करें।

सरकार की तरफ से जारी लिखित आदेश में कहा गया है कि भारतीय संविधान और सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के आदेश के मुताबिक दिल्ली सरकार के पास केवल भूमि, पुलिस और सार्वजनिक आदेश जैसे तीन विषयों को छोड़कर बाकी सभी पर अधिकार है। इन तीन विषयों को ‘आरक्षित’ विषय कहा जाता है, जबकि दिल्ली सरकार के नियंत्रण वाले बाकी विषयों को ‘स्थानांतरित’ कहा जाता है। 

स्थानांतरित विषयों के मामले में, अनुच्छेद 239AA(4) का प्रावधान बताता है कि एलजी किसी भी स्थानांतरित विषय पर मंत्रिपरिषद के फैसले से अलग राय रख सकते हैं। हालांकि, इस मतभेद को टीबीआर के नियम 49, 50, 51 और 52 में निर्धारित प्रक्रिया के माध्यम से पूरा किया जाना चाहिए। इन प्रावधानों का मूल यह है कि विचारों के अंतर को यांत्रिक रूप से प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए और नियम 51 और 52 के तहत निर्देश जारी करने से पहले उन मतभेदों को हल करने का हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए।

सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली के शासन के संबंध में एक निर्णय जारी किया था। अदालत ने कहा था कि दिल्ली के एलजी को दिल्ली सरकार के नियम, 1993 टीबीआर के नियम 49 और 50 की निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। ये नियम एलजी और एक मंत्री या मंत्रिपरिषद के बीच मतभेद के मामले में पालन की जाने वाली प्रक्रिया को निर्धारित करते हैं।

नियम 49 के मुताबिक एलजी को संबंधित मंत्री के साथ चर्चा और संवाद से किसी भी मतभेद को सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए। अगर किसी समाधान पर नहीं पहुंचा जा सकता है तो एलजी इस मामले को मंत्रिपरिषद को भेजने का निर्देश दे सकते हैं। इसी तरह, नियम 50 एलजी और मंत्रिपरिषद के बीच मतभेद होने पर पालन की जाने वाली प्रक्रिया बताता है। एलजी को ऐसे मामले को केंद्र सरकार को भेजना चाहिए।

अदालत का फैसला अनुच्छेद 239-एए (4) में दी गई "सहायता और सलाह" के अर्थ को भी स्पष्ट करता है। दिल्ली के एलजी मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बंधे हैं। उनके पास निर्णय लेने की कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है। हालाँकि, असाधारण परिस्थितियों में एलजी के पास मामले को राष्ट्रपति को संदर्भित करने की शक्ति है।

अदालत ने एलजी और मंत्रिपरिषद के बीच मतभेदों को दूर करने में संवाद और सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व के महत्व पर जोर दिया है। एलजी को यांत्रिक तरीके से काम नहीं करना चाहिए और संवैधानिक विश्वास, नैतिकता, सहयोगी संघवाद और शक्ति संतुलन के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए केवल असाधारण परिस्थितियों में अनुच्छेद 239-एए के खंड (4) के प्रावधान के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करना चाहिए। 

टीबीआर, 1993 उन तौर-तरीकों पर एक मिश्रित और समग्र परिप्रेक्ष्य प्रदान करता है, जिनका पालन एलजी और मंत्रिपरिषद के बीच मतभेद की स्थिति में किया जाना चाहिए। अदालत के फैसले का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि अनुच्छेद 239-एए के सम्मिलन द्वारा परिकल्पित किए गए शासन का प्रतिनिधि रूप बना रहे। यह नियम दिल्ली सरकार को शासन पर स्पष्टता प्रदान करता है और मतभेदों को हल करने में संवाद और सहयोग के महत्व पर जोर देता है।

सरकार के आदेश में कहा गया है कि पिछले कुछ महीनों में एलजी ने नियम 49 और 50 में निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना सीधे नियम 51 और 52 के तहत निर्देश जारी किए हैं।

सरकार ने अधिकारियों को दिए आदेश में कहा है कि नियम 57 के अनुसार यह सुनिश्चित करना प्रत्येक सचिव का कर्तव्य है कि टीबीआर के प्रावधानों का ठीक से पालन किया जाए। इसलिए सरकार ने निर्देश दिया है कि यदि किसी सचिव को एलजी से नियम 51/52 के तहत कोई निर्देश प्राप्त होता है और यदि नियम 49 एवं 50 में निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है तो सचिव को उस मामले को तुरंत प्रभारी मंत्री के समक्ष रखना चाहिए, जो इसे मुख्यमंत्री और एलजी के संज्ञान में लाएंगे।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि सरकार ने चेतावनी दी है कि एलजी से सीधे प्राप्त ऐसे कोई भी आदेश संविधान और सर्वोच्च न्यायाल के निर्देशों का उल्लंघन हैं और इन आदेशों के कार्यान्वयन को गंभीरता से देखा जाएगा।

पिछले दिनों ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले हैं, जब एलजी ने संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर दिया। इसमें हज कमेटी के सदस्यों की नियुक्ति, एमसीडी में एल्डरमैन का मनोनयन, एमसीडी में पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति, सीआरपीसी 196 के मामलों में अभियोजन स्वीकृति सहित अन्य फैसले शामिल हैं।

 

global khabar

 



Web Id Maker
Web Id Maker