अमेरिका ने फिनलैंड को नाटो का हिस्सा बनाया। रूस के लिये बड़ी चुनौती। विश्व युद्ध की चर्चा जोरों पर।

Date: 07/04/2023

राजेश कुमार चंद्रवंशी, ग्लोबल खबर globalkhabar.com

रूस का पड़ौसी देश फिनलैंड अमेरिका के नेतृत्व में नाटो में शामिल हो गया। खुद अमेरिका ने इसके लिये आधिकारिक पत्र फिनलैंड को सौंपा। यह रूस के लिये बहुत बड़ी चुनौती मानी जा रही है क्योंकि रूस और  फिनलैंड के बीच 1340 किलोमीटर लंबी सीमा है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच फिनलैंड का नाटो में शामिल होना, वैश्विक युद्ध की ओर संकेत है। तीसरा विश्व युद्ध होगा या नहीं यह भविष्य के गर्भ में है लेकिन हालात तीसरे विश्व युद्ध के बन रहे हैं। फिनलैंड के नाटो सदस्य बनने से जहां अमेरिका ने रूस की सीमा पर दस्तक दे दिया है वहीं अब रूस ने भी तैयारी शुरू कर दी है। वह मित्र देशों से लेकर समुद्र के कई ठिकानों पर परमाणु बम की तैनाती कर सकता है। रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ( रूस के पूर्व राष्ट्रपति) ने इस ओर पहले की संकेत दे दिया था। उन्होंने फिनलैंड की ओर इशारा करते हुए कहा कि नाटो के नये सदस्य देश को हाइपरसोनिक मिसाइलों और परमाणु हथियारों के साये में जीना होगा।

दरअसल अमेरिका ने रूस के लिये दोहरी स्थिति पैदा कर दी है । वह चाह कर भी अब युद्ध के मैदान से पीछे नहीं हट सकता। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध की वजह से दोनों ही पक्षों की पारंपरिक सामरिक हथियारों में भारी कमी आई है। बावजूद अमेरिका और रूस के पास अभी भी इतने हथियार और सामाग्री हैं कि अगले कई सालों तक युद्ध कर सकते हैं। एक तरफ अमेरिका के नेतृत्व में नाटो के 31 संपन्न देश हैं जो हथियार बना रहे हैं तो दूसरी ओर रूस अकेला है। अपने दोस्त भारत और चीन से अभी तक हथियार की मदद नहीं ली है। बताया जाता है कि यदि रूस को यह समझ आ जायेगा कि पारंपरिक हथियारों से काम नहीं चलेगा तो वे परमाणु बम का भी इस्तेमाल संभव है। इस प्रकार की आशंका अमेरिका और यूरोप को भी है।   

 

- फिनलैंड नाटो में शामिल।  नाटो की सदस्य संख्या बढकर 31 हुई।

- नाटो महासचिव जनरल जेन स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि फिनलैंड की सहमति के बिना नाटो अपने सैनिकों को नहीं भेजेगा।

- सोवियत संघ को चुनौती देने के लिये हीं अमेरिका के नेतृत्व में नाटो देश का गठन हुआ था 4 अप्रैल 1949 को।

- नाटो स्थापना के समय सदस्य देशों की संख्या 12 थी जो अब बढकर 31 तक पहुंच गया है।

- सोवियत संघ के टूटने के बाद यह माना जा रहा था कि नाटो समाप्त को समाप्त कर दिया जायेगा लेकिन अमेरिका ने ऐसा नहीं किया।

- सोवियत संघ भले हीं टूट गया लेकिन अह्म हिस्सा रूस ने नाटो के विस्तार को अपने लिये खतरा मान रहा है।

 

बहरहाल देखना है कि फिनलैंड के नाटो में शामिल होने के बाद रूस का अगला कदम क्या होगा? क्योंकि यूक्रेन नाटो में शामिल होने के लिये हर संभव कोशिश कर रहा था, इसी से अपने को खतरे में देख रूस ने यूक्रेन पर हमला किया लेकिन अब फिनलैंड के मामले में रूस क्या करेगा? विश्व युद्ध न होगा तो हीं अच्छा है लेकिन अमेरिका ने रूस के लिये स्थिति विकट बना दी है। यदि फिनलैंड ने रूस के खिलाफ कोई भी कदम उठाया तो विश्व युद्ध की शुरूआत हो जायेगी। 



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