भारत रत्न हैं, विश्व स्तर पर भारत का नाम रोशन करने वाले रामानुजम अवार्ड से सम्मानित गणितज्ञ आनंद कुमार।
Date: 30/03/2022
- राजेश कुमार , वरिष्ठ पत्रकार
सुपर-30 (Super-30) के संस्थापक और गणितज्ञ आनंद कुमार (Anand kumar) को भारत रत्न दिया जाता है या नहीं यह एक अलग सवाल है, लेकिन उन्होंने जो कार्य किया है वह ऐतिहासिक है। उन्होंने अपने दम पर, संसाधन के अभाव के बावजूद देश के 450 से अधिक गरीब बच्चों को आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में दाखिला दिलाने में सफल रहे। यह सिलसिला जारी है। जहां दूसरे संस्थान आईआईटी की तैयारी के लिए लाखों रूपये लेते हैं वहीं गणितज्ञ आनंद कुमार ने अपने खर्चे पर बच्चों को रहने के लिये इंतजाम किये, उनके भोजन का प्रबंध किये और खुद पढाकर सफवता दिलाई। इसके लिये उन्होंने किसी भी सरकार से एक पैसे की मदद नहीं ली। उनके संघंर्ष की गाथा का एक हिस्सा फिल्म सुपर-30 में दिखाया गया है। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गणितज्ञ आनंद कुमार जैसे मेधावी को यदि सरकार भारत- रत्न से सम्मानित करती है तो इसका बहुत हीं व्यापक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
ऐतिहासिक कदम गणितज्ञ आनंद कुमार के :
बिहार के रहने वाले सुपर-30 के संस्थापक व गणितज्ञ आनंद कुमार ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति कर दिया है गरीब बच्चों के लिये। ऐसा विश्व में कुछ हीं लोग होंगे उनमें से एक हैं आनंद। यदि कहा जाये कि वे भारत में एक मात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने उच्च शिक्षा के लिये गरीब बच्चों को अपने खर्च पर रहने-भोजन-पढने और पढाने की व्यवस्था करने और सफलता दिलाने वाले एक मात्र व्यक्ति होंगे तो गलत नहीं होगा। विशेष बात यह है कि वे इन बच्चों को आईआईटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराते हैं और हर साल 30 गरीब बच्चे सफल होते हैं। यह सिलसिला बीते एक दशक से अधिक समय यानी साल 2002 से चला आ रहा है। वे अब तक 450 से अधिक गरीब छात्रों को आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला के लिये सफलता दिला चुके हैं। इस साल (2019) भी सुपर-30 के 30 में से 18 छात्र IIT प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल की। साल 2008, 2009, 2010 और 2017 में सुपर 30 के सभी 30 छात्र आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में सफल हुए थे।
गरीब छात्रों का मसीहा क्यों कहा जाता है गणितज्ञ आनंद कुमार को ?
वे पिछड़े व गरीब छात्र, जो मेधावी होने के बावजूद कभी आईआईटी जैसे इंजीनियरिंग कॉलेज में पढने की कल्पना तक नहीं कर सकते। उनके पास वहां तक पहुंचने का कोई विकल्प नहीं होता। ऐसे में गणितज्ञ आनंद कुमार सामने आते हैं और वे हर चुनौतियों का सामना कर यथा संभव गरीब बच्चों को मदद करने की कोशिश करते हैं। क्योंकि उन्होंने गरीबी और पिछडेपन का दंश झेला है। मेधावी होने के बावजूद गरीब छात्र उच्च शिक्षा हासिल नहीं कर पाते। ऐसे छात्रों को आगे बढाने के लिये आनंद कुमार आगे आये। सुपर-30 की स्थापना की और इसी बैनर तले प्रत्येक साल 30 मेधावी गरीब व पिछड़े छात्रों का चयन करते हैं । उनके लिये मुफ्त में रहने और भोजन की व्यवस्था के साथ साथ खुद पढाते हैं। अपनी निगरानी में पढाई भी कराते हैं। आनंद कुमार खुद भी मेधावी हैं। छात्रों को बेहद सरल तरीके से गणित पढाते। एक सवाल को कई प्रकार से हल करते। छात्र गणित को कठिन विषय समझने की वजाय अपने मनोरंजन का विषय समझने लगते हैं। आनंद की पढाई से वे भी पारंगत हो जाते। और हर साल 30 के 30 या कभी 30 से कम गरीब छात्र आईआईटी जैसे इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लेने में सफल हो जाते हैं। बताया जाता है कि अब 450 से अधिक बेहद गरीब छात्र सफल हो चुके हैं। इनमें से किसी के पिता मजदूरी करते हैं तो किसी पिता रिक्शा चलाते हैं तो किसी के पिता सफाई का काम करते हैं तो किसी के पिता किसान हैं। ऐसा आज तक कोई नहीं कर पाया। इसलिये उन्हें गरीब छात्रों का मसीहा कहा जाता है। और उन्होंने यह सिद्ध कर दिखाया कि यदि गरीब बच्चों को पढने की सुविधा और सही मार्ग दर्शन दिया जाये तो शिक्षा के क्षेत्र में किसी से कम नहीं हैं।
आनंद के रिसर्च मैथमैटिकल स्पेक्ट्रम तथा दे मैथमैटिकल गजट में प्रकाशित,
गरीबी के कारण कैंब्रिज में नहीं ले सके दाखिला, सुपर-30 की स्थापना :
आनंद कुमार बिहार की राजधानी पटना से लगभग 25 किलोमीटर दूर देवधा गांव के रहने वाले हैं। उनका पूरा इलाका आनंद के गांव के नाम से जाना जाने लगा है। गणितज्ञ आनंद कुमार का जन्म 1 जनवरी 1973 को हुआ। इनका जीवन कभी सरल नहीं रहा। पिता डाक विभाग में क्लर्क थे। किसी तरह परिवार चल रहा था। ऐसे में मेधावी होने के बावजूद आनंद को अच्छे प्राइवेट स्कूल में दाखिला दिलाने में असमर्थ थे। हिन्दी माध्यम के सरकारी स्कूल में उन्होंने दाखिला लिया। गणित प्रति आनंद को अत्यधिक लगाव था। जब वे स्नातक में थे तभी उन्होंने संख्या-सिद्धांत पर अपने विचार व सिद्धांत को समाने लाये और दस्तावेज जमा किये। इसे मैथमैटिकल स्पेक्ट्रम तथा दे मैथमैटिकल गजट में प्रकाशित किया गया। कैंब्रिज विश्वविद्यालय में दाखिले के लिये ऑफर आया। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। वहां जाने के लिये 5 लाख रूपये की जरूरत थी। किसी ने मदद नहीं की। जहां गये बताया जाता है उन्हें अपमानित ही महसूस हुआ। पिताजी की मृत्यु के बाद घर की हालत और खराब हो गई। ऐसे में आनंद दिन में गणित पर रिसर्च करते रहते और शाम के वक्त मां के साथ पापड़े बेचने में हाथ बंटाते। अतिरिक्त पैसे कमाने के लिये उन्होंने बच्चों को गणित पढाना शुरू किया। और यहीं से एक नई यात्रा की शुरूआत हो गई।
गरीबी का दंश झेल रहे आनंद कुमार कैंब्रिज में दाखिले के लिये बुलावा होने के बावजूद नहीं जा सके। अपना खर्च चलाने के लिये 1992 में उन्होंने बच्चों का गणित पढाना प्रारंभ किया। इसी क्रम में वे रामानुजन-स्कूल-ऑफ़-मैथमैटिक्स की स्थापना की। बताया जाता है कि पहले ही वर्ष में दो छात्रों से बढ़कर छत्तीस छात्र हो गये और तीसरे साल के अन्त तक यह संख्या 500 तक हो गयी। फिर 2002 में उन्होंने गरीब छात्रों के विशेष निवेदन पर, जो कि आईआईटी संयुक्त प्रवेश परीक्षा की महंगी कोचिंगों की फीस नहीं दे सकते थे, सुपर 30 कार्यक्रम प्रारम्भ किया। आज इस संस्थान की चर्चा न सिर्फ बिहार व देश में हो रही बल्कि पूरे विश्व में है।
वैश्विक स्तर पर गणितज्ञ आनंद की चर्चा :
सुपर-30 की स्थापना और लगातार बच्चों को मिल रही सफलता से गणितज्ञ आनंद कुमार की चर्चा पूरे विश्व में होने लगी।
- साल 2009 में डिस्कवरी चैनल ने सुपर-30 पर एक घंटे का कार्यक्रम दिखाया।
- साल 2009 में हीं अमेरिकी न्यूज पेपर द न्यूयॉर्क टाइम्स ने आनंद कुमार व सुपर-30 पर आधे पेज पर लेख लिखा।
- टाइम पत्रिका ने सुपर 30 को बेस्ट ऑफ़ एशिया 2010 की सूची में भी स्थान दिया।
- अभिनेत्री व पूर्व मिस जापान नोरिका फुजिवारा पटना आयीं और उन्होंने आनन्द कुमार के कार्यों पर एक लघु फ़िल्म बनायी।
- आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को निःशुल्क शिक्षा देने के लिये लिम्का-बुक-ऑफ़-वर्ल्ड-रिकॉर्ड में भी उनका नाम दर्ज हुआ।
- बीबीसी ने भी गणितज्ञ आनंद को अपने कार्यक्रमों में जगह दी।
- स्वंय आनंद कुमार ने भी भारतीय प्रबंध संस्थान, अहमदाबाद, कई आईआईटी, ब्रिटिश कोलम्बिया विश्विद्यालय, टोक्यो विश्वविद्यालय, तथा स्टेनफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में भाषण दे चुके हैं। उनके साथ अपने अनुभव शेयर किये।
देश-विदेश में गणितज्ञ आनंद कुमार का सम्मान :
सुपर-30 के आइडिया और सफलता की वजह से गणितज्ञ आनंद कुमार का सम्मान पूरे विश्व में होने लगा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ...
- आनंद कुमार को साल 2010 में इंस्टिट्यूट ऑफ़ रीसर्च एण्ड डॉक्युमेंटेशन इन सोशल साइंसेस द्वारा एस रामानुजम पुरस्कार दिया गया।
- अमेरिकी के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के विशेष सिपहसालार राशिद हुसैन ने सुपर-30 को देश का सर्वश्रेष्ठ संस्थान कहा।
- न्यूज़वीक पत्रिका ने आनन्द कुमार के कार्यों का संज्ञान लेते हुए उनके संस्थान को चार सर्वाधिक अभिनव संस्थान में स्थान दिया।
- उन्हें 2010 में बिहार सरकार का सर्वोच्च पुरस्कार "मौलाना अबुल कलाम आज़ाद शिक्षा पुरस्कार" से सम्मानित किया गया।
- आनंद कुमार को जर्मनी के सैक्सोनी प्रांत के शिक्षा विभाग द्धारा सम्मानित किया गया।
- भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने राष्ट्रीय-बाल-कल्याण पुरस्कार से सम्मानित किया।
- गणितज्ञ आनंद कुमार को प्रसिद्ध यूरोपीय पत्रिका फोकस ने असाधारण लोगों की सूची में शुमार किया।
- लोकप्रिय विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इतिहास, स्वास्थ्य और सामाजिक विषयों पर रोचक और ज्ञानवर्धक आलेख प्रकाशित करने वाली इतालवी पत्रिका ने अपने एक लेख में आनंद को असाधारण प्रतिभाओं में शुमार किया।
- फोकस पत्रिका ने भी अपने आलेख में गणितज्ञ आनंद की चर्चा की। साथ हीं उनके साथ प्रसिद्ध धावक इवानो ब्रुनेटी और डेविड विलियम्स जैसे खिलाड़ियों की भी चर्चा की है। पत्रिका ने आनंद को प्रतिभाओं में निखार लाने वाली शख्सियत करार दिया है। इस आलेख में आनंद की तुलना कोयेल की किताब इनकुबेटरी द टैलेंट के नायक से की गयी है।
- गणितज्ञों के प्रतिष्ठान अमेरिकन मैथेमैटिक्स सोसाइटी ने अपनी पत्रिका मैथ डाइजेस्ट में आनंद को नायक के समान करार दिया है।पत्रिका के आलेख में लिजा दे क्यूकेलियर ने लिखा है कि आनंद असली जुझारू नायक की तरह हैं, जो माफिया की धमकी के बावजूद गरीब बच्चों को ज्ञान दे रहे हैं।
- अमेरिका के मैसच्युसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान तथा हार्वर्ड विश्वविद्यालय द्वारा उनके कार्यों पर बोलने के लिये निमंत्रण दिया गया।
- 11 फरवरी 2011, भारत के गौरव गणितज्ञ आनंद कुमार तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के हाथों प्रतिष्ठित 'महावीर अवार्ड' से सम्मानित ।
अमेरिका के उपराजदूत और कन्सल जनरल ने पटना में आनंद से मुलाकात की :
बिहार के गणितज्ञ आनंद कुमार की चर्चा अमेरिका में भी है। इस बात का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि साल 2014 में अमेरिका के उपराजदूत माइकल पेलेटियर और कन्सल हेलेन जी लफैव ने सुपर-30 के संस्थापक व गणितज्ञ आनंद कुमार और छात्रों से मुलाकात करने पटना पहुंचे। मीडिया में छपे रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी अधिकारियों ने सुपर-30 कार्यप्रणाली की प्रशंसा की और कहा कि
गरीब छात्रों के सपने को पूरा करने और उसे सही मार्गदर्शन करने के लिए आनंद कुमार बधाई के पात्र हैं। अमेरिका में इसकी काफी प्रशंसा सुनी थी, यहां आकर बच्चों के आत्मविश्वास को देख आश्चर्यचकित हूं। उपराजदूत माइकल ने कहा कि आईआईटी के बाद यदि सुपर-30 के छात्र अमेरिका में पढना चाहेंगे तो वे उनकी अनुशंसा सरकार से करेंगे।
खर्च कैसे चलता है सुपर-30 का ? :
गरीबी का दंश झेल चुके गणितज्ञ आनंद कुमार स्वाभिमानी और जमीन से जुडे व्यक्ति हैं। वे दिखावे में कभी विश्वास नहीं करते। वे रामानुजन-स्कूल-ऑफ़-मैथमैटिक्स से होने वाले आमदनी से सुपर-30 में चयन किये गये गरीब बच्चों का खर्च चलाते हैं। उन्हें देश के कई हस्तियों ने आर्थिक मदद की ऑफर की लेकिन उन्होंने लेने से इंकार कर दिया और अपने दम पर ही संस्थान का संचालन करते हैं।
पारिवारिक स्थिति -
गणितज्ञ आनंद कुमार एकदम साधारण परिवार से हैं। पिता के निधन के बाद मां जयंती देवी ने हिम्मत कर अपने परिवार को छांव दी और बच्चों को नैतिक ताकत दी आगे बढने की। मां पापड़ बिक्री कर अपने परिवार को संभालने की कोशिश की। इसी काम में आनंद भी अपने माताजी को सहयोग करने के लिये शाम में पापड़ की बिक्री किया करते थे। आनंद के भाई हैं प्रणव कुमार जो हमेशा हर कदम पर परिवार के साथ हैं। सुपर-30 को स्थापित करने में मां जतंती देवी और भाई प्रणव कुमार का भी योगदान है। गणितज्ञ आनंद की पत्नी ऋतु रश्मि भी अपने पति को हर कदम पर साथ देती हैं। इनके पुत्र का नाम है जगत कुमार।
कई बार सवाल खड़े किये गये आनंद कुमार पर :
गणितज्ञ आनंद कुमार को कई चनौतियों का सामना करना पड़ा, उन्हें बदनाम करने की कोशिश की गई, धमकियां दी, जान से मारने की कोशिश हुई लेकिन वे कभी झुके नहीं। उन्हें सिर्फ गरीबी से ही संघंर्ष नहीं करना पड़ा बल्कि सामाजिक स्थितियों का भी सामना करना पड़ा। वे पिछड़े वर्ग (चंद्रवंशी समाज) से आते हैं। अगड़े वर्ग के लोग विश्वास ही नहीं कर पा रहे थे कि पिछड़ा वर्ग का कोई युवक इतना मेधावी हो सकता है। इसलिये तरह तरह के सवाल खड़े किये गये। इस बारे में पटना टाइम्स ऑफ इंडिया के संपादक रहे उत्तम सेन गुप्ता ने बीबीसी को दिये इंटरव्यू में कहा कि दरअसल आनंद पर उठाये जा रहे सवाल शक करना नहीं बल्कि टारगेट करना है। लोग पचा नहीं पा रहे थे कि अति पिछड़ी जाति को कोई लड़का इतना कैसे कर सकता है। ऐसा नहीं है कि आनंद की कोई जांच पड़ताल नहीं हुई हो। उन्होंने यह भी कहा कि मैं नहीं मानता कि वे पिछले 20 सालों से लोगो को बेवकूफ बना रहे हैं। न्यूयॉक टाइम्स और जापानी मीडिया ने इस पर एक महीने तक काम किया।
आनंद कुमार पर जान लेवा हमला -
गणितज्ञ आनंद कुमार पर हमले भी हुए। इस बारे में आनंद कुमार का कहना है कि जब उनके संस्थान रामानुजम क्लासे में पढने वालों की संख्या लगातार बढती गई तो पटना के दूसरे कोचिंग सेंटर वालों ने हमला कराया। आनंद कुमार यह भी आरोप लगाया गया कि सुपर-30 में अगड़े वर्ग के बच्चे नहीं होते। इस आरोप को आनंद कुमार नकारते हैं और कहते हैं कि यह आरोप पूरी तरह झूठ है। वे यह भी कहते हैं कि वे जाति-व्यवस्था के खिलाफ हैं। उन्होंने खुद अंतरजातीय विवाह किया है। अंतरजातीय विवाह को लेकर भी आनंद कुमार को काफी संकट का सामना करना पड़ा। उनपर खतरे बने रहे।
फिल्म सुपर-30 :
विश्व प्रसिद्ध गणितज्ञ व सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार की प्रसिद्धि बॉलिवुड तक भी पहुंच गई और इनपर बनी फिल्म सुपर-30 हिट फिल्म रही। फिल्म में आनंद कुमार का किरदार बॉलिवुड स्टार ऋतिक रोशन ने निभाया है। फिल्म में ऋतिक रोशन के अलावा अन्य कलाकार हैं अभिनेत्री म्रूनाल ठाकुर, जॉनी लिवर, पंकज त्रिपाठी, रित्विक साहोरे , नंदीश संधू, अमित साध और विरेंद्र सक्सेना। फिल्म का प्रोडक्शन रिलायंस एंटरटेनमेंट , फैंटम फिल्मस और नाडियाडवाला ग्रैंडसन एंटरटेनमेंट के बैनर तले किया गया।