गाय-माता प्राचीन काल से हीं रीढ की हड्डी हैं कृषि अर्थव्यवस्था के लिये। गौ-रक्षा और गौ-संरक्षण के क्षेत्र में केदार नाथ मित्तल और आरती मित्तल का ऐतिहासिक कार्य।

Date: 20/10/2022

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समय समय पर गौ-रक्षा और गौ-संरक्षण की बातें लगातार सुर्खियां बनती रहती हैं। इस मामले में धनबाद जिले के केदार नाथ मित्तल का नाम सदैव सम्मान से लिया जाता है। गौ-रक्षा और गौ-संरक्षण के मामले में उन्होंने ऐतिहासिक कार्य किया है।  उनकी पहचान राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर की जाती है। इनके बारे में एनआरआई अचीवर्स पत्रिका ने भी लिखा है। केदारनाथ मित्तल पशुओं की हत्या के खिलाफ हैं। उन्होंने  वेदों से श्लोकों का उदाहरण देते हुए बताया कि वध के लिए पशुओं को लाना ; जो वध करते हैं;

 जो मांस बेचते हैं; जो मांस खरीदते हैं; जो इससे पकवान बनाते हैं; जो उस मांस को परोसते हैं और जो खाते हैं, वे सब हत्यारे हैं। 

गौ हत्या न किया जाये, गौ-रक्षा और गौ-संरक्षण का उल्लेख करते हुए केदार नाथ मित्तल ने एक बढिया उदाहरण देते हुए आम जन को समझाने की कोशिश की है।  उन्होंने साझा किया कि जापान में  एक बार एक पत्रकार ने स्वामी विवेकानंद से भारतीय संस्कृति में गाय के महत्व पर एक सवाल पूछा  - (सवाल) मुझे बताइये भारत में सबसे अच्छा दूध देने वाले जानवर का नाम क्या है? स्वामी विवेकानंद ने उत्तर दिया "भैंस"। तब  जापानी पत्रकार ने स्वामी जी से कहा कि उन्होंने सुना है कि गाय भारत में सबसे अच्छा दूध देती है। फिर स्वामी  विवेकानंद ने जापानी पत्रकार को  समझाया कि गाय भारत में पशु नहीं है। यह पवित्र प्राणी है और एक प्रतिष्ठित देवी। इसकी पूजा की जाती है। गाय का दूध भारत में एक अमृत, औषधि और प्रसाद की तरह है। 

श्री मित्तल ने कहा कि गाय को माता माना जाता है। गौ-सेवा में मामले में केदार नाथ मित्तल की सेवा एक मिसाल है। उन्होंने गायों की रक्षा के लिये अटूट उत्साह और जुनून के साथ कार्य किया है। और यह प्रक्रिया सतत जारी है। इस दिशा में एकल-विद्यालय से जुड़े केदारनाथ मित्तल के अलावा उनकी पत्नी आरती मित्तल ने भी उल्लेखनीय कार्य किया है धनबाद जिला समेत झारखंड व पश्चिम बंगाल इलाके में। इन्होंने लाखों गायों को बचाया और उन्हें जरूरत मंद किसानों को दे दी। इससे जहां किसानों को स्थायी आजीविका मिल गया वहीं गौरक्षा की हो सकी। 

गाय का महत्व वैदिक काल के समय से है। केदारनाथ मितल व आरती मित्तल का कहना है कि गाय हमारी माता है। प्राचीन काल से हीं रीढ की हड्डी हैं कृषि अर्थव्यवस्था के लिये। भगवान शिव और भगवान कृष्ण से जुड़ी हैं माता गायें। इनका दूध अमृत समान है। 

राष्ट्रपति  द्रौपदी मुर्मू जब राज्यपाल थी झारखंड की, उस दौरान केदारनाथ मित्तल ने उनसे मुलाकात कर इस बारे विस्तृत चर्चा भी की थी। 

 



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